पंथ के बाद ग्रंथ बेचने का सामने आया खुलासा,कौम की पीठ में खंजर: जीके

मामला सिख रेफरैंस लाइब्रेरी के खजाने के शिरोमणी कमेटी की नाक के नीचे बेचने का अमृतसर पुलिस को दोषीयों के खिलाफ करेंगे शिकायत जून 1984 में भारतीय सेना के द्वारा आॅपरेशन ब्लूस्टार के दौरान अपने कब्जे में लिए गए सिख धार्मिक ग्रंथों व साहित्य की वापसी को लेकर सामने आ रहें रोजाना नए खुलासों के कारण सिख सियासत में उबाल आ गया हैं। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने सेना द्वारा उस समय सिख रेफरैंस लाइब्रेरी, केंद्रीय सिख संग्रहालय, तोशाखाना,शिरोमणी कमेटी दफ्तर तथा गुरु रामदास लाइब्रेरी से जब्त किए समान की वापसी पर शिरोमणी कमेटी की रहस्यमय चुप्पी पर आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए। जीके ने आरोप लगाया कि शिरोमणी कमेटी कौम को गुमराह कर रहीं हैं। इसलिए शिरोमणी कमेटी को इस मामले पर तुरंत श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। जीके ने कहा कि अभी तक तो शिरोमणी अकाली दल पर पंथ का सौदा करने का दोष लगता था पर अब तो ग्रंथ को ही बेचने के तथ्य सामने आ गए हैं।12 करोड़ में एक हस्तलिखित स्वरूप कमेटी के नुमाईंदों के द्वारा बेचने के मीडिया द्वारा किए गए दावे के बाद जीके ने कहा कि अब सच सामने आना चाहिए। जीके ने खुलासा किया कि फरवरी 1983 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दमदमी टकसाल के पूर्व प्रमुख संत जरनैल सिंह भिंडरावाले को एक पत्र लिखा था। जिसमें इंदिरा ने संत जी को पंजाब की सभी बुनियादी मांग माने जाने का भरोसा दिया था। इसी पत्र के बाद अकाली नेताओं को इस बात का अहसास हुआ कि यदि सरकार ने संत जी को विश्वास में लेकर पंजाब के हितों की रक्षा कर दी तो उनकी सियासत का क्या होगा। इसके बाद ही संत जी को देशद्रोही साबित करने का कुप्रचार शुरू किया गया, जो कि आखिरकार श्री दरबार साहिब परिसर पर हमले का कारण बना था। जीके ने बताया कि हमले के बाद सरकार भी इस दवाब में थी कि यदि संत जी को लिखी चिट्ठी सिखों के हाथ लग गई तो यह सिखों के पास सरकार के विश्वासघात का अहम् दस्तावेज होगा। इसलिए ही हमले के बाद सरकार ने इसी पत्र को लेकर सिख रेफरैंस लाइब्रेरी व अन्य स्थानों से सारे दस्तावेज जब्त किए थे, ताकि संत जी को लिखा पत्र वापस प्राप्त किया जा सकें। जीके ने दावा किया कि शिरोमणी कमेटी अभी भी यह बताने की हालात में नहीं हैं कि कमेटी का कितना धार्मिक व साहित्यिक खजाना लूटा गया तथा कितना वापस आया हैं। जीके ने जानकारी दी कि कौम के महान विद्वान गंड़ा सिंह तथा सिख इतिहास सोसायटी के द्वारा 27 मार्च 1947 को सिख रेफरैंस लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। इस लाइब्रेरी में हस्तलिखित आदि गुरु ग्रंथ साहिब तथा दशम ग्रंथ के स्वरूप,गुरु साहिब के हुकमनामे, साहित्यक पांडूलिपि तथा धार्मिक साहित्य के महत्वपूर्ण अवशेष थे। हमले के समय श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कृपाल सिंह तथा दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी साहिब सिंह ने साहित्यिक खजाने को बचाने के लिए बिग्रेडियर औंकार सिंह गोराया के साथ मिलकर कोशिश की थी। लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाए। 9 जून 1984 को पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह ने ज्ञानी कृपाल सिंह को फोन पर बताया था कि फौज द्वारा जब्त 125 बोरों को उन्होंने अपनी आंखों से देखा हैं। जीके ने खुलासा किया कि फौज ने सारा सामान सीबीआई को सौंप दिया था ताकि दिल्ली में चल रहें एक केस में संत जी का लिंक विदेशी एजेंसीयों से साबित किया जा सकें। पर सीबीआई को इस साहित्यिक खजाने में से देशविरोधी कुछ भी नहीं मिला था। आखिरकार कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को यह खजाना वापस देने को मजबूर होना पड़ा। पर शिरोमणी कमेटी इन तथ्यों को झूठलाना चाहती हैं। जबकि तमाम मीडिया रिपोर्ट यह खुलासा कर रहीं हैं कि बाबा जस्सा सिंह रामगढिया के दादा भाई हरीदास के द्वारा लिखित आदि गुरु ग्रंथ साहिब का एक स्वरूप, जिस पर गुरु गोबिन्द सिंह जी के दस्तखत हैं तथा गुरु साहिब ने खुद यह स्वरूप भाई मनी साहिब को दरबार साहिब का प्रमुख नियुक्त करते समय 1701 में सौंपा था।पर इस स्वरूप को 12 करोड़ में बेचने की बात सामने आ रहीं हैं। जिस कमेटी की जिम्मेदारी कौम के खजाने को बचाने की थी, वो खजाने को बेचने के बाद भी सरकार से खजाने की वापसी की बेशर्मी से मांग करके कौम की पीठ में खंजर मार रहीं हैं। जीके ने इस मामले को लेकर अमृतसर में दोषियों के खिलाफ जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब तथा पंजाब पुलिस के पास कौम की धरोहर को खुर्द-मुर्द करने के मामले में शिकायत देने का भी ऐलान किया। जीके ने कहा कि वो सिख रेफरैंस लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक हरजिन्दर सिंह दिलगीर तथा अन्य के खिलाफ कौम से विश्वासघात की आपराधिक शिकायत दर्ज करवाएँगें। जीके ने सवाल पूछा कि जब शिरोमणी कमेटी के पास ज्यादातर समान वापस आ चुका था तो,शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कुछ दिन पहले तक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले में क्यों मुलाकात कर रहें थे ? जब 18 फरवरी 2009 को राज्यसभा में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने 17 पेज के लिखित जवाब में दावा किया था सरकार के पास सामान नहीं हैं तथा सीबीआई ने भी 2003-04 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में भाई सतनाम सिंह खंडा के द्वारा डाले गए केस में जवाब दाखिल किया था कि सारा समान वो शिरोमणी कमेटी को दे चुके हैं, तो शिरोमणी कमेटी अब तक चुप क्यों रहीं ? किसी कोर्ट में इन दावों को चुनौती क्यों नहीं दी गई ? जीके ने कहा कि सरकार से वापस आई धरोहर को कथित तौर पर बेचने की दोषी शिरोमणी कमेटी ने सिख खोजकारों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया हैं। क्योंकि अब हवाले के तौर पर इन पुरातन हस्तलिखित ग्रंथों का हवाला धर्म पर खोज करने वाले खोजकार नहीं दें पाएँगे। जो कि कौम की अनमोल विरासत के बाद अब कौम के भविष्य को पंगु करने जैसा होगा।